भूजल में बढ़ती सोडियम की मात्रा: सिंचाई के लिए खतरे की घंटी
हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उम्र में स्थिति ज्यादा खराब
आर्सेनिक, नाइट्रेट, सोडियम, यूरेनियम, फ्लोराइड आदि की अधिकता के कारण भूजल की खराब गुणवत्ता केवल साफ-स्वच्छ पेयजल की चिंताएं ही नहीं बढ़ा रही, बल्कि यह सिंचाई के लिए भी नुकसानदेह साबित हो रही है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि वैसे तो पूरे देश में भूजल की क्वालिटी सिंचाई के लिए अनुकूल है लेकिन आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भूजल के 12.5 प्रतिशत नमूने उच्च सोडियम की मौजूदगी के कारण सिंचाई के अनुकूल नहीं पाए गए हैं। इनमें सबसे अधिक संकट राजस्थान में है, जहां 12 प्रतिशत से अधिक सैंपल कसौटी पर फेल हो गए हैं।
कौन-कौन से राज्य हैं प्रभावित?
आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भूजल के 12.5% नमूने उच्च सोडियम की उपस्थिति के कारण सिंचाई के लिए अनुपयुक्त पाए गए हैं। राजस्थान इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 12% से अधिक नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे।
पूरे देश में 81.49 प्रतिशत सैंपल में सोडियम का स्तर 1.25 से कम मिला है, जिसका मतलब है कि पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जाने के लिए सुरक्षित है, लेकिन 10.43 प्रतिशत सैंपलों में यह 2.5 प्रतिशत से अधिक है। सोडियम का यह स्तर पानी को सिंचाई के लिए अनुपयुक्त बना देता है, क्योंकि इससे मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। अधिक सोडियम से मिट्टी की सतह पर सीलिंग बन जाती है और नमी जमीन के अंदर प्रवेश नहीं कर पाती। भूजल की गुणवत्ता में आ रही गिरावट के लिए उद्योगों से निकलने वाले गंदे जल के उपचार की पर्याप्त व्यवस्था न होना, कृषि में जरूरत से ज्यादा उर्वरकों का इस्तेमाल, बेहिसाब शहरीकरण, सीवेज लीकेज, कूड़े के पहाड़ जिम्मेदार हैं बढ़ रही है चिंताः सिंचाई के लिए उपयोग योग्य न माने जाने वाले भूजल का प्रतिशत एक साल में 7.69 से 8.07 तक बढ़ गया है। यह चिंताजनक है।
आंकड़ों पर एक नजर
भूजल के नमूने | सोडियम स्तर (%) | सिंचाई के लिए उपयुक्तता |
---|---|---|
81.49% | 1.25 से कम | सुरक्षित |
10.43% | 2.5 से अधिक | अनुपयुक्त |
रिपोर्ट के अनुसार, 10.43% नमूने सिंचाई के लिए अनुपयुक्त पाए गए, जिससे मिट्टी में सोडियम की परत जमने का खतरा बढ़ गया है।
इसका मतलब है कि पानी में लवणों की उपस्थिति की रोकथाम नहीं हो पा रही है। रिपोर्ट के अनुसार सोडिसिटी यानी जमीन पर सोडियम की पर्त जमना अच्छा संकेत नहीं है। यह जरूरी है कि उन इलाकों में भूजल में सोडियम की उपस्थिति को समाप्त करने के लिए विशेष रूप से अभियान चलाया जाए, जहां इसकी मात्रा सीमा से अधिक है। इसके लिए प्रभावित इलाकों की लगातार निगरानी सबसे पहली जरूरत है।